जाने क्या सोचके मैं,आप कहूँ,तू भी कहूँ
रश्क ख़ुर्शीद करे,चाँद करे,तारे भी करें
मैं तुझे नूर कहूँ,नूर का जादू भी कहूँ
तुझसे तारीकी मिटे,शोलों का सैलाब चले
शब की शम्मा मैं कहूँ,रात का जुगनू भी कहूँ
गुल के हर साँस में तू तेरी अदा है उनमें
गुल से वाबस्ता है तू,शौक से गुलगूं भी कहूँ
महज़बीं तुझको कहूँ या मैं कहूँ चाँद को तू
चाँद में अक्स तेरा,इसलिए माह-ए-रू भी कहूँ.............
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