भोली सूरत है कितनी बुरी
मेरे दिल पे चलाये छुरी
तेरे लब हैं की हैं जू-ए-मय
तेरी आँखें हैं मद से भरी
दोनों आलम में तुझ सा नहीं
अप्सरा है, तू ही है परी
तेरी अंखियों की क्या दूँ मिसाल?
नीले मोती हैं जैसे धरी
दम ये घुटने लगा"लुत्फी"का
अपनी ज़ुल्फ़ों से कर दे बरी.............
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