Thursday, January 6, 2011

ग़म की दुनिया में आ के देख ज़रा...................................

राह-ए-उल्फत में आ  के देख ज़रा
ईश्क़ के गीत गा   के  देख ज़रा

अच्छे बीतेंगे तेरे रोज़-ओ-शब
मेरी यादों में खोके देख ज़रा

नदियाँ बनती हैं समंदर कैसे
मुझमें ख़ुद को समा के देख ज़रा

रंग उड़ते हैं कैसे ग़ैरों के
नाम मेरा तू ले के देख ज़रा

दिल मेरा क़ैद है तेरे दिल में
मुझसे तू दूर जा के देख ज़रा

ये घटायें बरसना भूलेंगीं
तू घटाओं पे छा के देख ज़रा

कब से दर्शन को तरसे हैं हम भी
रुख़ से आँचल हटा के देख ज़रा

हंस के जीते हैं कैसे"लुत्फी"जी
ग़म की दुनिया में आ के देख ज़रा...................................

0 comments:

Post a Comment