Tuesday, February 11, 2014


2. ग़ैरों के दोस्त बन के उन्हें प्यार करो  तुम। 

नफ़रत करो न यूँ किसी पे वार करो तुम। 
ग़ैरों के दोस्त बन के उन्हें प्यार करो तुम।।  

अपने  लिये ही जीना कोई  जीना नहीं है ,
जो  ख़ुद तलक  ही सिमटा रहे इन्सां नहीं है,
सबकी  भलाई के लिए उपकार करो तुम। 
ग़ैरों के दोस्त बन के उन्हें प्यार करो  तुम। 

इंसानियत के वास्ते हो तेरे  दिल में प्यार ,
ख़ुद को बुराई से तू बचाना ऐ मेरे यार!
जो प्यार से मिले उसे स्वीकार करो तुम। 
ग़ैरों के दोस्त बन के उन्हें प्यार करो  तुम। 

इज्ज़त वतन की तुम से है ये भूल न जाना ,
गर वक़्त पड़े इसके लिए सर को कटाना ,
जो ख़ून के प्यासे हैं उन पे  वार करो तुम,
ग़ैरों के दोस्त बन के उन्हें प्यार करो  तुम। 

जनम से कोई हिन्दू या मुसलमान नहीं है,
इनमें करे जो भेद वो इंसान नहीं  है ,
इंसानियत का सब से ही इज़हार करो तुम,
ग़ैरों के दोस्त बन के उन्हें प्यार करो  तुम। 
                  
                                      लुत्फ़ी कैमूरी
                           Territorry Sales Manager
                           Britannia Industries Limited

Sunday, August 5, 2012

राह-ए-हक़ पे लाओ मौला !!!!!



राह-ए-हक़ पे लाओ मौला
दिल से कुफ्र मिटाओ मौला
इन्सां नेक बनाओ मौला
सोये हुओं को जगाओ मौला
या अल्लाह! या मौला!

इन्सां, इन्सां का हो भाई
सब के दिल में हो यकताई
कभी करे ना कोई लड़ाई
प्यार का सब ही करें पढ़ाई 
या अल्लाह! या मौला! 

हम को अपनी ज़मीं हो प्यारी
ग़ैर से भी हो हम को यारी
घर लगे हम को दुनिया सारी
हो ये जहाँ फूलों की क्यारी
या अल्लाह! या मौला! 

नाम-ओ-निशाँ नफ़रत का नहीं हो
ख़ुश रहे इन्सां चाहे कहीं हो 
नेकियाँ जन्में  ऐसी ज़मीं हो
गर्व से ऊंचा अपना  ज़बीं हो
या अल्लाह! या मौला! 

इल्म का दरिया बहता जाये
प्यार में डूबा हर दिल गाये 
प्यार की बोली सब को आये
जैसा करे जो वैसा पाए
या अल्लाह! या मौला! 

मुझ को जज़्बा देना मौला
हिम्मत छूटे कभी ना मौला
मुफलिस का भाई बनाना मौला
भटकूँ तो राह दिखाना मौला
या अल्लाह! या मौला! 
                              "लुत्फ़ी कैमूरी

Saturday, April 28, 2012

तुम दिल हो, जाँ हो मेरे,सांसों में समा जाओ...

आओ तुम पास मेरे,सांसों में समा जाओ
बैठो तुम पास मेरे,सांसों में समा जाओ

ना दिल का पता मेरे,ना मन का ठिकाना है
मेरा सब है पास तेरे,सांसों में समा जाओ

ना तुम से जुदा हूँ मैं,ना मुझ से अलग हो तुम
रम जाओ मन में मेरे,सांसों में समा जाओ

तुम ही मेरे लब की हंसी,तुम ही मेरे दिल की ख़ुशी
तुम दिल हो, जाँ हो मेरे,सांसों में समा जाओ

जब मेरी ज़रूरत हो,तुम दिल से बुलाना मुझे
हर लमहा हूँ पास तेरे,सांसों में समा जाओ

ना होश रहा मुझ में,ना कुछ भी याद रहा
मैं बस में नहीं हूँ मेरे,सांसों में समा जाओ

ना तुम शर्माना कभी,ना तुम घबराना  कभी
"लुत्फी"है साथ तेरे,सांसों में समा जाओ.........................

Tuesday, December 27, 2011

वो तारे तोड़कर लाना हमें अच्छा नहीं लगता ............


किसी को बदगुमां कहना हमें अच्छा नहीं लगता
किसी के दिल को तड़पाना हमें अच्छा नहीं लगता

परी की पंखुड़ी सी तेरी बाँहों से बिछड़ जाना
वो ख्वाबों से तेरा जाना हमें अच्छा नहीं लगता 

तेरे रुख्सार पर नज़रें गड़ाना फिर हटा लेना
सबर कर-कर के रह जाना हमें अच्छा नहीं लगता

बिना तेरे हवाओं में वो रंगीनी नहीं आती
हसीं मौसम ये मस्ताना हमें अच्छा नहीं लगता

जो कह दे चाँद-तारों की अभी महफ़िल सजा दूँ मैं
वो तारे तोड़कर लाना हमें अच्छा नहीं लगता

ज़रा तू रूबरू हो ज़िन्दगी का जाम पी लूँ मैं
तेरा परदे में शर्माना हमें अच्छा नहीं लगता.......................

Wednesday, December 7, 2011

तू तो अविनाश है,कण-कण में तू रहेगा यहाँ...

कौन कहता है कि होगा तेरा विनाश यहाँ,
तू तो अविनाश है,कण-कण  में तू रहेगा यहाँ.

तेरी आहट से चला करती है खुशियों की लहर,
फूल खिल पड़ते हैं,रक्खे है तू क़दम को जहाँ.

सादगी तेरी बिखेरे है हवा में खुशबू,
तेरे मुस्कान से मिटता गया अँधेरा यहाँ.

आसमाँ से भी बड़े हैं तेरे ख़याल-ओ-फ़िकर ,
फ़िक्र-ओ-फ़न का बना रहेगा तू मिसाल यहाँ.

ज़िन्दगी का हर एक लम्हा मुबारक हो तुम्हें,
तेरी खुशहाली है "लुत्फ़ी" के हर दुआ में निहाँ.
                
                                   "लुत्फ़ी कैमूरी"

Wednesday, October 19, 2011

माँ की ताज़ीम को लफ़्ज़ों में कह नहीं सकता..........

मैं प्यार करता हूँ उनसे ये कह नहीं सकता
कह न पाऊं अगर तो ज़िंदा रह नहीं सकता

आ भी जाओ कि मेरी जान निकली जाती है
हिज्र कि  तंग निगाहों  को  सह नहीं सकता

मेरे माँ-बाप ने कुछ ऐसी नसीहत दी है
कुफ्र की तेज़ हवाओं में बह नहीं सकता

ग़म की शहनाइयाँ बजती हैं यहाँ शाम-ओ-सहर
मैं वो खंडर हूँ  जो आबाद रह नहीं सकता

शक के दीवार की बुनियाद को न पड़ने दो
ये वो दीवार है जो ढाहे ढह नहीं  सकता

रूबरू हो गया, तो हसरतें पूरी कर ले !
बारहा मौक़ा-ए-दीदार लह नहीं सकता

या ख़ुदा आला हुनर कोई अता कर दे मुझे
माँ की ताज़ीम को लफ़्ज़ों में कह नहीं सकता

अपनी औकात पे उतरा तो देखना "लुत्फ़ी"
कोई गद्दार  इस वतन  में रह नहीं सकता 

Saturday, August 6, 2011

खानों में खान हैं शेर खान...................

खानों में खान हैं शेर खान
जौनपुरिया पठान हैं शेर खान

कोई रावण क़सम से बचेगा नहीं
तीर,ख़ुद ही कमान हैं शेर खान

लूट लो जितना ज़र लूटना चाहते हो
दिल के दौलत की खान हैं शेर खान

आगे बढ़ते रहे,पीछे देखा नहीं
हौसलों की उड़ान हैं शेर खान

इल्म-ओ-फन को खरीदो बिना मोल के
इल्म-ओ-फन की दुकान हैं शेर खान

राह-ए-हक़ से ये पीछे हटे ही नहीं
रखते पक्का इमान हैं शेर खान

सादा है दिल कोई फितरत नहीं
सच्चे मुसलमान हैं शेर खान

राह बन जाती है ये जिधर भी चलें
जिस्म-ओ-मन से जवान हैं शेर खान

इन के ज़हन की मैं क्या दूँ मिसाल?
सारी दुनिया की शान हैं शेर खान

देख कर इन को राहत मिले आँखों को
'लुत्फ़ी' 'रामिश' की जान हैं शेर खान