Thursday, December 9, 2010

दिल लगाना ज़रा सोचके 
चोट खाना ज़रा सोचके

ना खुदा हूँ ,न हूँ देवता
सर झुकाना ज़रा सोचके

दम निकल जायेगा दर्द से
दिल दुखाना ज़रा सोचके

ग़म में मर जाऊंगा मै सनम
दूर जाना ज़रा सोचके

उलटे तुम को न रोना पड़े
आज़माना ज़रा सोचके

अश्कों से दोस्ती तोड़कर
मुस्कुराना ज़रा सोचके

बाद मुद्दत के सोया हूँ मैं
तुम जगाना ज़रा सोचके

लूँगा बदला मैं हर ज़ख़्म का
आज आना ज़रा सोचके

मुझसा आशिक़ मिलेगा नहीं
मुंह छुपाना ज़रा सोचके

सुन के रोने लगेगी  फ़ज़ा
लुत्फी गाना ज़रा सोचके.....


    

2 comments:

माधव( Madhav) said...

sundar rachna

arvind said...

shandaar

Post a Comment