Wednesday, December 29, 2010

ज़िन्दगी इक पहेली ....................

ज़िन्दगी इक पहेली सी है
चार दिन की सहेली सी है

बात तेरी है मीठी शहद
याद तेरी करेली सी है

तेरा चेहरा है खिलता कँवल
बू - ए- गेसू चमेली सी है

संगमरमर है तेरा बदन
रूह तेरी हवेली सी है

आ समा "लुत्फी" के रूह में
तेरी हस्ती अकेली सी है......................

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