खानों में खान हैं शेर खान
जौनपुरिया पठान हैं शेर खान
कोई रावण क़सम से बचेगा नहीं
तीर,ख़ुद ही कमान हैं शेर खान
लूट लो जितना ज़र लूटना चाहते हो
दिल के दौलत की खान हैं शेर खान
आगे बढ़ते रहे,पीछे देखा नहीं
हौसलों की उड़ान हैं शेर खान
इल्म-ओ-फन को खरीदो बिना मोल के
इल्म-ओ-फन की दुकान हैं शेर खान
राह-ए-हक़ से ये पीछे हटे ही नहीं
रखते पक्का इमान हैं शेर खान
सादा है दिल कोई फितरत नहीं
सच्चे मुसलमान हैं शेर खान
राह बन जाती है ये जिधर भी चलें
जिस्म-ओ-मन से जवान हैं शेर खान
इन के ज़हन की मैं क्या दूँ मिसाल?
सारी दुनिया की शान हैं शेर खान
देख कर इन को राहत मिले आँखों को
'लुत्फ़ी' 'रामिश' की जान हैं शेर खान
6 comments:
intresting ||
I am first time in your blog.....first of all congratulations for special song and your unique & versatile ghazal. Very nice...Very Touching...
मै आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ |
बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने धन्यवाद् |
खान साहब,
आपका ब्लॉग अच्छा लगा. बे-बाक
बयानी करने वाले स्पष्ट वक्ता कम ही
मिलते हैं.आपकी गजल अच्छी लगी.
धन्यवाद.
आनन्द विश्वास.
kya baat kee hai kaimoori sahab...apka follower ban gaya hoon to aata rahoonga...aap bhee aate rahiyegaa...
welcome in blog world
ap mere blog par aae bahut bahut shukriya
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