Sunday, August 5, 2012

राह-ए-हक़ पे लाओ मौला !!!!!



राह-ए-हक़ पे लाओ मौला
दिल से कुफ्र मिटाओ मौला
इन्सां नेक बनाओ मौला
सोये हुओं को जगाओ मौला
या अल्लाह! या मौला!

इन्सां, इन्सां का हो भाई
सब के दिल में हो यकताई
कभी करे ना कोई लड़ाई
प्यार का सब ही करें पढ़ाई 
या अल्लाह! या मौला! 

हम को अपनी ज़मीं हो प्यारी
ग़ैर से भी हो हम को यारी
घर लगे हम को दुनिया सारी
हो ये जहाँ फूलों की क्यारी
या अल्लाह! या मौला! 

नाम-ओ-निशाँ नफ़रत का नहीं हो
ख़ुश रहे इन्सां चाहे कहीं हो 
नेकियाँ जन्में  ऐसी ज़मीं हो
गर्व से ऊंचा अपना  ज़बीं हो
या अल्लाह! या मौला! 

इल्म का दरिया बहता जाये
प्यार में डूबा हर दिल गाये 
प्यार की बोली सब को आये
जैसा करे जो वैसा पाए
या अल्लाह! या मौला! 

मुझ को जज़्बा देना मौला
हिम्मत छूटे कभी ना मौला
मुफलिस का भाई बनाना मौला
भटकूँ तो राह दिखाना मौला
या अल्लाह! या मौला! 
                              "लुत्फ़ी कैमूरी

2 comments:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut hee badhiya likha hai Lutfi bhai!

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत अच्छी रचना...

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