आओ तुम पास मेरे,सांसों में समा जाओ
बैठो तुम पास मेरे,सांसों में समा जाओ
ना दिल का पता मेरे,ना मन का ठिकाना है
मेरा सब है पास तेरे,सांसों में समा जाओ
ना तुम से जुदा हूँ मैं,ना मुझ से अलग हो तुम
रम जाओ मन में मेरे,सांसों में समा जाओ
तुम ही मेरे लब की हंसी,तुम ही मेरे दिल की ख़ुशी
तुम दिल हो, जाँ हो मेरे,सांसों में समा जाओ
जब मेरी ज़रूरत हो,तुम दिल से बुलाना मुझे
हर लमहा हूँ पास तेरे,सांसों में समा जाओ
ना होश रहा मुझ में,ना कुछ भी याद रहा
मैं बस में नहीं हूँ मेरे,सांसों में समा जाओ
ना तुम शर्माना कभी,ना तुम घबराना कभी
"लुत्फी"है साथ तेरे,सांसों में समा जाओ.........................
4 comments:
बहुत बेहतरीन सुंदर प्रस्तुति.....खान साहब
आपका फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,
MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
KHAN SAHAB ..i m thankful for the honour done for . for visiting blog..
sunder post hai bhai ... keep reading /
बढ़िया प्रस्तुति! आपकी कविता में भाव की बहुलता इसे पठनीय बना देती है । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद
खान साहब आपकी यह प्रस्तुति बेहद दिलचश्प व खूबसूरत है....आपकी इस प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई....अब आप अपने लेखो, कविताओं और रचनाओं को शब्दनगरी
के माध्यम से भी प्रकाशित कर एक नया अनुभव ले सकतें हैं.....
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