Monday, November 15, 2010

MUJHKO LAGTE HO AB TUM KHUDA KI TARAH....................................

दिल में आये हो तुम दिलरुबा की तरह
मुझको लगते हो तुम अब ख़ुदा की तरह


उम्र भर बस तुझी से मैं बातें करूँ 
तेरी हर बात है इक दुआ की तरह


इन अदाओं पे मिटने को करता है जी
हर अदा है तेरी खुश अदा की तरह


जब से मुझसे जुदा मेरा हमदम हुआ
शाम कटती है अब बेमज़ा की तरह


तेरी यादों का मौसम सुहाना लगे
तेरी यादें हैं दिलकश फ़ज़ा की तरह


इसके चलने से राहत मिले हर जगह
लुत्फी आया है जग में हवा की तरह................................................. 

2 comments:

Rudra Ramish said...

bahut khub

शाहजाहां खान “लुत्फ़ी कैमूरी” said...

thik ba bhai........

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