ज़िन्दगी इक पहेली सी है
चार दिन की सहेली सी है
बात तेरी है मीठी शहद
याद तेरी करेली सी है
तेरा चेहरा है खिलता कँवल
बू - ए- गेसू चमेली सी है
संगमरमर है तेरा बदन
रूह तेरी हवेली सी है
आ समा "लुत्फी" के रूह में
तेरी हस्ती अकेली सी है......................
Wednesday, December 29, 2010
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