Tuesday, December 27, 2011

वो तारे तोड़कर लाना हमें अच्छा नहीं लगता ............


किसी को बदगुमां कहना हमें अच्छा नहीं लगता
किसी के दिल को तड़पाना हमें अच्छा नहीं लगता

परी की पंखुड़ी सी तेरी बाँहों से बिछड़ जाना
वो ख्वाबों से तेरा जाना हमें अच्छा नहीं लगता 

तेरे रुख्सार पर नज़रें गड़ाना फिर हटा लेना
सबर कर-कर के रह जाना हमें अच्छा नहीं लगता

बिना तेरे हवाओं में वो रंगीनी नहीं आती
हसीं मौसम ये मस्ताना हमें अच्छा नहीं लगता

जो कह दे चाँद-तारों की अभी महफ़िल सजा दूँ मैं
वो तारे तोड़कर लाना हमें अच्छा नहीं लगता

ज़रा तू रूबरू हो ज़िन्दगी का जाम पी लूँ मैं
तेरा परदे में शर्माना हमें अच्छा नहीं लगता.......................

Wednesday, December 7, 2011

तू तो अविनाश है,कण-कण में तू रहेगा यहाँ...

कौन कहता है कि होगा तेरा विनाश यहाँ,
तू तो अविनाश है,कण-कण  में तू रहेगा यहाँ.

तेरी आहट से चला करती है खुशियों की लहर,
फूल खिल पड़ते हैं,रक्खे है तू क़दम को जहाँ.

सादगी तेरी बिखेरे है हवा में खुशबू,
तेरे मुस्कान से मिटता गया अँधेरा यहाँ.

आसमाँ से भी बड़े हैं तेरे ख़याल-ओ-फ़िकर ,
फ़िक्र-ओ-फ़न का बना रहेगा तू मिसाल यहाँ.

ज़िन्दगी का हर एक लम्हा मुबारक हो तुम्हें,
तेरी खुशहाली है "लुत्फ़ी" के हर दुआ में निहाँ.
                
                                   "लुत्फ़ी कैमूरी"