Saturday, August 6, 2011

खानों में खान हैं शेर खान...................

खानों में खान हैं शेर खान
जौनपुरिया पठान हैं शेर खान

कोई रावण क़सम से बचेगा नहीं
तीर,ख़ुद ही कमान हैं शेर खान

लूट लो जितना ज़र लूटना चाहते हो
दिल के दौलत की खान हैं शेर खान

आगे बढ़ते रहे,पीछे देखा नहीं
हौसलों की उड़ान हैं शेर खान

इल्म-ओ-फन को खरीदो बिना मोल के
इल्म-ओ-फन की दुकान हैं शेर खान

राह-ए-हक़ से ये पीछे हटे ही नहीं
रखते पक्का इमान हैं शेर खान

सादा है दिल कोई फितरत नहीं
सच्चे मुसलमान हैं शेर खान

राह बन जाती है ये जिधर भी चलें
जिस्म-ओ-मन से जवान हैं शेर खान

इन के ज़हन की मैं क्या दूँ मिसाल?
सारी दुनिया की शान हैं शेर खान

देख कर इन को राहत मिले आँखों को
'लुत्फ़ी' 'रामिश' की जान हैं शेर खान





Friday, August 5, 2011

धड़कनों का धड़कना तुम्हीं..........


धड़कनों का धड़कना तुम्हीं
और सांसों का चलना तुम्हीं

            दरिया की लहरों में तू,तू ही घटाओं में 
            बारिश की बूंदों में तू,तू ही पहाड़ों में
            बुलबुलों का चहकना तुम्हीं
            धड़कनों का धड़कना तुम्हीं 

महलों के जगमग में तू,झोंपड़ की स्याही में
सब की ख़ुशी में तू ही,तू ही तबाही में
खंडरों का वीराना तुम्हीं
धड़कनों का धड़कना तुम्हीं

             सब के ख़यालों में तू,तू ही दुवाओं में
             दिन-धरम में तू ही,तू ही किताबों में
             आयतों का महकना तुम्हीं
             धड़कनों का धड़कना तुम्हीं

तू ही अज़ानों में है,शंख की तानों में
गुरु-ग्रन्थ साहिब में तू,बाइबिल के पन्नों में
हर धरम का पनपना तुम्हीं
धड़कनों का धड़कना तुम्हीं.......................
             

छा ही जाऊंगा चांदनी बन कर ......

इस ज़माने पे रौशनी बन कर
छा ही जाऊंगा चांदनी बन कर

जीना है तो जियो कुछ इस तरह
दुःख में भी सुख की चाशनी बन कर

दिल मेरा तेरी आरज़ू लेकर
उड़ता रहता है हंसिनी बन कर

राग हूँ तेरी मीठी सांसों का
मुझ में खो जा तू रागिनी बन कर 

मैं हमेशा ही कहूँगा- बेवफा तू बेवफा .........................

सुन ज़रा ओ बेअदब,ओ बेशरम,ओ बेहया
तुझको पूजा की इबादत,फिर भी तूने की दग़ा

दिल की बस्ती को जलाना,जब तुम्हे मंज़ूर था
प्यार में दिल क़त्ल कर के,क्या मिला तुझको बता?

चाहे कितने ही वफ़ा के अब गवाहें पेश कर
मैं हमेशा ही कहूँगा- बेवफा तू बेवफा

ख़ुद ही आंकोगे अगर तुम तो पता चल जायेगा
मैं तेरी मंज़िल हूँ लेकिन तू मेरी मंज़िल कहाँ?

अब क्या जीना ज़िंदगी को ज़िंदगी भी बेवफा 
ऊम्र भर मरता रहूँगा ऐसी तूने दी दवा

क्यों हवाएं दे रहे हो? क्या मिलेगा अब तुम्हें?
जो शमा रौशन थी पहले बुझ चली है वो शमा

तेरी फितरत और अदाएं दोनों तीर-ओ-नेज़ हैं
दिल में चुभना तेरी फितरत,जानलेवा है अदा

अब अँधेरा मिट चुका है,साफ सब कुछ दिख रहा
पल में उतरा जो चढ़ा था सालों पहले से नशा

ईश्क़ में नाक़ामियों  का छोड़ जा ऐसा निशाँ
भूल कर भी प्यार करने से डरें दो दिल जवाँ